abhivainjana


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Thursday 26 June 2014

खिलखिलाती रही



कतरा कतरा बन

जि़न्दगी गिरती रही

समेट उन्हें,मै 

यादों में सहेजती रही

अनमना मन मुझसे

क्या मांगे,पता नहीं

पर हर घड़ी धूप सी

मैं ढलती रही

रात, उदासी की चादर

उढा़ने को आतुर बहुत

पर मैं तो

चाँद में ही अपनी

खुशी तलाशती रही

और चाँदनी सी 

खिलखिलाती रही

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महेश्वरी कनेरी

Wednesday 11 June 2014

एक अच्छी शुरुवात है



आज सुरमई प्रभात है
कुछ नई सी बात है
उम्मीद नहीं विश्वास है
एक अच्छी शुरुवात है
एक पग आगे बढ़ा
कोटि पग बढ़ने लगे
हाथों से हाथ मिले
दिलों से दिल जुड़ने लगे
जज्बे की ये बात  है
एक अच्छी शुरुवात है……….
छुप गया हो तम जैसे
किरणों की बौछार से
खिल उठीं कली-कली
बसंत की पुकार से
अनुपम ये सौगात है
एक अच्छी शुरुवात है………….
हौसलों में उड़ान भर
चेतन मन थकता नहीं
असंभव को संभव करे
जो वक्त से डरता नहीं
ये हौसलों की बात है
एक अच्छी शुरुवात है……….

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महेश्वरी कनेरी